
जमूरे का तमाशा •••
- Vinode Prasad

- Sep 1
- 1 min read
जमूरे!
हाँ, उस्ताद
आ गया ?
आ गया उस्ताद
साहब लोगों को सलाम किया?
किया उस्ताद किया
शाबाश!!
चल,साहब लोगों को
खुश करने के लिए
तमाशा शुरू करें
उस्ताद!
आज मन नहीं है
कल रात
राम खेलावन की बेवा के साथ
दुराचार हुआ
रात के सन्नाटे में
उसकी चीख चीखती रही
मुर्दों के मुहल्ले सोते रहे
भूख से पावित्री का बच्चा रोता रहा
बंद कर ये बकवास
साहब लोगों के काले चेहरे
दिखने लगेंगे
साहबान!
माफ कर दें
आज जमूरे के मन में
जम्हूरियत का भूत चढ़ा है
जमूरे,साहब लोगों को
अच्छी बातें सुना
अच्छी बातें?
उस्ताद
सुना है एक शख़्स आया है
आजकल
जो लोगों का हमदर्द और नेकनियत है
आम आवाम में शामिल
अनवरत प्रयास कर रहा है
फिर बकवास
बंद कर ये सब
साहब लोग
सुविधाभोगी और अवसरवादी हैं
तुम देखते नहीं
महल छोड़के सड़कों पर घूम घूम कर
जन जागरण कर रहा है
कितने लोग उसके हमराह हैं
उस्ताद ठहरो!
शायद सठिया गए हो
पहचानो इसे उस्ताद
इन्हींलोगों ने हमें
उस्ताद और जमूरे बनाए हैं
और हाथ फैलाकर भीख मंगवा रहें हैं
ये जन जन के गुनाहगार हैं
उस्ताद! अब भूख से नहीं मरेंगे
रोजी कर रोटी कमाएँगे
चलोगे उस्ताद?
चल बेटा आज
मान सम्मान से जीना सीखें
अब न तुम जमूरा न मैं उस्ताद
और न ये सड़क छाप मजमा
राष्ट्रधर्म सर्वोपरी
(विनोद प्रसाद)
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