
नहीं चाहिए,बाग बगीचे अपना तुम मृदुहास मुझे दोगे •••
- Vinode Prasad
- 2 days ago
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नहीं चाहिए बाग बगीचे
अपना तुम मृदुहास मुझे दोगे
एक छोटा सा घर आंगन
एक मुट्ठी आकास मुझे दोगे
अंतहीन एक यात्रा ये जीना है
अपना जीवन दे दूँ सारा
तुम भी ये एहसास मुझे दोगे
चौखट पे खड़ी मिलेंगी तुमको
मेरी व्याकुल प्रतिक्षा
लौट आने की आस मुझे दोगे
माटी गुलाल बना दूं,आओ तो
फागुन के मौसम में
तुम मिलन मधुमास मुझे दोगे
आकांक्षाएँ मर जाए घुटन में
गुम जाए सब सपने
अंधकार में उजास मुझे दोगे
नहीं चाहिए बाग बगीचे
अपने तुम विश्वास मुझे दोगे
(विनोद प्रसाद)
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